पीएम-कुसुम योजना: सौर ऊर्जा और एग्रीवोल्टाइक से भारत में सतत कृषि का मार्ग
भारत में पीएम-कुसुम (Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha evam Utthan Mahabhiyan) योजना का उद्देश्य कृषि में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है। यह योजना किसानों को परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करने में मदद करती है और उन्हें सौर ऊर्जा आधारित प्रणालियों में स्थानांतरित करती है।
योजना के प्रमुख घटक:
- घटक ए: खाली पड़ी जमीन पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करता है। किसान अतिरिक्त सौर ऊर्जा को ग्रिड में बेच सकते हैं, जिससे उन्हें आय का अतिरिक्त स्रोत प्राप्त होता है।
- घटक बी: किसानों को विशेषकर उन क्षेत्रों में, जहां बिजली की आपूर्ति अस्थिर है, स्टैंडअलोन सौर संचालित कृषि पंप लगाने में मदद करता है। यह किसानों की डीजल पर निर्भरता को कम करता है।
- घटक सी: ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से सुसज्जित करने का समर्थन करता है, जिससे किसान अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं और अतिरिक्त सौर ऊर्जा को ग्रिड में बेच सकते हैं।
एग्रीवोल्टाइक का उपयोग:
एग्रीवोल्टाइक तकनीक के माध्यम से, किसान एक ही जमीन पर सौर ऊर्जा का उत्पादन और कृषि दोनों कर सकते हैं। यह प्रणाली न केवल भूमि उपयोग की समस्याओं को हल करती है, बल्कि कृषि उत्पादकता को भी बढ़ाती है।
सरकारी सहायता:
कुसुम योजना के तहत किसानों को सौर पंप लगाने के लिए 60% तक की सब्सिडी मिलती है। इसके अलावा, ऋण की भी सुविधा प्रदान की जाती है, जिससे छोटे और सीमांत किसानों के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग संभव होता है।